सात अलग-अलग प्रोजेक्ट में लगभग 94 करोड़ 34 लाख के काम चौपट ……… कोई नतीजा ही नहीं निकला पैसे खर्च करने का …..आखिर कब रुकेगी जनता के पैसों की व्यर्थ की बर्बादी …..आखिर कब जागेंगे सरकार के जवाबदार अधिकारी???????? Expose Chhattisgarh Exclusive न्यूज़
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हम आपको सरकार की भी और सरकार के उच्च पदों पर आसीन अधिकारियों की 7 ऐसी बड़ी गलतियां बताने जा रहे हैं जिसमें न केवल जनता का पैसा बर्बाद किया गया है बल्कि आज तक भी उसका क्या किया जा सकता है और उसका क्या उपयोग लिया जा सकता है इस बारे में भी कोई सोच विचार नहीं कर रहा है क्योंकि बड़े पद पर आसीन सरकार के बड़े अधिकारी अपनी कुंभकरणी नींद में सो रहे हैं उन्हें क्या मतलब अगर जनता का पैसा बर्बाद होता है उससे उन्हें क्या तो अब कौन देखेगा और कब रुकेगी यह जनता के पैसों की बर्बादी ??????
यही पैसा यदि सही जगह पर और पूरी पूरी जवाबदारी के साथ में सही जगह पर इस्तेमाल होता तो कितना फायदा हो सकता था जनता को भी…….
गलती नंबर (1) एक ……47.17 करोड़ खर्च……5 साल पहले बने 100 बेड के अस्पताल में मवेशियों का बसेरा व शराबियों का अड्डा बन चुका है
शासन की अनदेखी और अधिकारियों की लापरवाही के कारण बिलासपुर में 47.17 करोड़ खर्च कर बनाए गए भवन खंडहर हो चुके हैं। इनमें 100 बिस्तर अस्पताल, ऑडिटोरियम, हॉस्टल और बंगले भी शामिल हैं। मरीजों की सुविधा के लिए 5 साल पहले जो अस्पताल बना, अब तो उसमें लोग मवेशी बांधते हैं यह जगह मवेशियों का जमावड़ा बसेरा और शराबियों ने अपना अड्डा बन चुकी है और जवाबदार अपनी आंखें मूंदकर कुंभकर्णी नींद में सो रहे हैं

साइंस कॉलेज और यूनिवर्सिटी में अधबने ऑडिटोरियम खंडहर में बदल रहे हैं। यह स्थिति इसलिए चिंताजनक है, क्योंकि विकास कार्यों और योजनाओं की प्लानिंग करने के लिए विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है। दूसरी ओर, जो इंफ्रास्ट्रक्चर पहले से तैयार है, उसका उपयोग करना तो दूर बर्बादी रोकने की कोई पहल करने वाला नहीं है। यह स्थिति सिर्फ बिलासपुर की नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश कई जगह पर ही इसी तरह के काम देखने को मिल रहे हैं।
गलती नंबर (2)दो देखिए जरा ……..12 करोड़ की बिल्डिंग अधूरी पर कंम्प्लीशन रिपोर्ट दे दी कामधेनु विश्वविद्यालय के अंतर्गत बिलासपुर में लगभग 12 करोड़ रुपए की लागत से दो मंजिला वेटनरी कॉलेज का भवन बनाना था। ये अधूरा है, लेकिन ठेकेदार को पूर्णता प्रमाण-पत्र दे दिया गया और सुरक्षा निधि के 50 लाख रुपए भी लौटा दिए गए ये भी गलती ही हैकाम की शुरुआत 2017 में हुई थी, लेकिन आज तक पूरा नहीं हो सका और अभी इस बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता कि कब तक पूरा हो पाएगा क्योंकि सरकारी अधिकारी तो अपने कुंभकरण ने नींद में सो रहे हैं।
गलती नंबर (3)तीन जहां पर खर्च की है 8 करोड रुपए और नतीजा वही जनता के पैसे की कुल मिलाकर बर्बादी हुई ……. सिम्स के डॉक्टरों को मिलनी थी ट्रेनिंग: बिलासपुर से लगे सीपत में 8 करोड़ रुपए की लागत से 100 बिस्तर का अस्पताल तैयार हुआ था। इसके रखरखाव की जिम्मेदारी सीजीएमएससी को दी गई थी। यहां खिड़की, दरवाजे सब चोरी हो गए हैं।
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मवेशियों का जमावड़ा बसेरा और शराबियों ने अपना अड्डा बना लिया है। अस्पताल का काम 2018 में ही पूरा हो चुका है, लेकिन अब तक डॉक्टर, स्टाफ की नियुक्ति नहीं हो सकी है। उपकरण भी नहीं लग पाए हैं। इसके चालू होने से आसपास के 40 गांव के लोगों को फायदा होता। सिम्स के डॉक्टरों की यहां ट्रेनिंग भी कराने का उद्देश्य था।
अब जरा देखिए गलती नंबर (4)चार जहां पर खर्च हुए 13.44 करोड़ के ऑडिटोरियम में झाड़ियां उगीं साइंस कॉलेज में 720 सीटों की क्षमता वाले ऑडिटोरियम के लिए 9 मार्च 2017 को वर्कऑर्डर जारी किया गया था। इसे 19 जून 2019 तक पूरा करना था। निर्माण में देरी से तीन साल में ही लागत 13.44 करोड़ रुपए से बढ़कर 22 करोड़ रुपए हो गई ये भी गलती ही मानी जायेगी कौन है इसका जवाबदारी लेंगे अब । अतिरिक्त राशि की मंजूरी न मिलने से ऑडिटोरियम अब खंडहर में तब्दील हो रहा है। यहां झाड़ियां उग आई हैं। शराबियों ने अपना डेरा बना लिया है।
अब हम आपको बताने जा रहे हैं गलती नंबर(5) पांच 7.63 करोड़ रुपए खर्च का एक और ऑडिटोरियम जर्जर
इंजीनियरिंग कॉलेज में 7.63 करोड़ की लागत से ऑडिटोरियम के लिए 2018 में वर्कऑर्डर हुआ। एक साल में इसे पूरा करना था। कॉलेज प्रबंधन ने पेमेंट नहीं किया, इसलिए अधूरा रह गया। अब जर्जर हो चुका है। इसका छात्रों को कोई फायदा नहीं हुआ।
अब देखिए जरा गलती नंबर (6 )छह ————–डेढ़ करोड़ रुपए के 30 बंगले अधूरे, क्योंकि फंड नहीं?
2008 में एमआईजी, एचआईजी 30 बंगलों का निर्माण किया गया था। हाउसिंग बोर्ड ने 4 करोड़ रुपए का प्रस्ताव शासन के पास भेजा था, जिसमें 1.5 करोड़ रुपए बोर्ड को दिए गए थे। बकाया न मिलने से काम अधूरा रह गया। अब ये मकान खंडहर हो गए।
गलती नंबर 7 सात ओपन यूनिवर्सिटी में 4.6 करोड़ रु. का हॉस्टल बेकार
पंडित सुंदरलाल ओपन यूनिवर्सिटी में 4.6 करोड़ रुपए से हॉस्टल का निर्माण किया गया है, जबकि छात्रों के रुकने की जरूरत नहीं थी। 3 साल पहले यह तैयार हुआ। अब इसमें दरारें आ गई हैं। अफसरों की लापरवाही से ये भवन भी खंडहर बनता जा रहा है।
जरा देखिए इस मामले में मंत्री जी ने न्यूज़ मीडिया से क्या कहा ………………..
राशि के अभाव में यदि ऑडिटोरियम का काम पूरा नहीं हो पाया है तो राशि जारी करेंगे। स्वास्थ्य विभाग को अस्पताल के लिए सेटअप की मंजूरी देंगे। जहां तक शासकीय राशि के दुरुपयोग का मामला है तो मितव्ययिता को लेकर निर्देश जारी किए जाते हैं। ध्यान रखने के लिए कहा जाएगा कि इंफ्रास्ट्रक्चर बेकार न हो। -ओपी चौधरी, वित्त मंत्री छत्तीसगढ़ सरकार
आखिरकार अब यही देखना होगा कि कब जागेंगे सरकार के जवाबदार लोग कब जागेंगे सरकार के सरकारी पदों पर आसीन बड़े-बड़े अधिकारी और कब आखिर रुक पाएगी जनता के पैसों की होने वाली इस तरह की बर्बादी?????
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