8 साल पहले केस बंद, दोबारा जांच पर PCC-सचिव अरेस्ट: जमीन में हेराफेरी पर पुलिस ने दी थी क्लीन चिट, केस रिओपन कर बनाया षडयंत्र-कूटरचना का मामला
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बिलासपुर में पुलिस ने जमीन कारोबारी व प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव सिद्धांशु मिश्रा को गिरफ्तार किया है। तत्कालीन एसपी ने आठ साल पहले जमीन खरीदी-बिक्री में धोखाधड़ी व कूटरचाना की जांच कराने के बाद अपराध नहीं होने पर फाइल बंद करा दिया था। उसी केस को अब रिओपन कर पुलिस ने षडयंत्र और कूटरचना कर जमीन की रजिस्ट्री कराने का आरोपी बना दिया है। हालांकि, कोर्ट ने दूसरे ही दिन पुलिस को फटकार लगाते हुए कांग्रेस नेता को जमानत दे दी है। पूरा मामला सरकंडा थाना क्षेत्र का है।
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दरअसल, सरकंडा निवासी आरटीआई एक्टीविस्ट रजनीश साहू ने साल 2016-17 में कांग्रेस नेता व जमीन कारोबारी सिद्धांशु मिश्रा के खिलाफ शिकायत की थी, जिसमें बताया गया कि सिद्धांशु मिश्रा ने षडयंत्र कर धोखाधड़ी और कूटरचना का केस दर्ज किया था। इस मामले में तत्कालीन पटवारी चंदराम बंजारे एवं कमल किशोर कौशिक की मिलीभगत से साल 2010-11 में जमीन का फर्जी 22 बिंदु प्रतिवेदन बनाकर जमीन का खसरा बदल दिया गया था।
जांच रिपोर्ट पर एसपी ने दिया खारिजी प्रतिवेदन
पुलिस की जांच में जब कोई मामला दर्ज नहीं किया गया, तब रजनीश साहू ने कोर्ट में परिवाद दायर किया, जिस पर कोर्ट के आदेश पर केस दर्ज किया गया। फिर मामले की जांच की गई। परिवाद एफआईआर दर्ज करने के बाद तथ्यों की जांच की गई। साथ ही राजस्व अधिकारियों के प्रतिवेदन के आधार पर तत्कालीन अतिरिक्त तहसीलदार, पटवारी और सिद्धांशु मिश्रा की कोई भूमिका होना नहीं पाया गया। इसके साथ ही कोई भी भूमि स्वामी द्वारा कोई शिकायत नहीं की गई और ना ही उनके द्वारा किसी राजस्व अधिकारियों से कोई लेनदेन करना बताया गया। केस में प्रार्थी रजनीश साहू का उक्त भूमि से कोई संबंध नहीं होने की जानकारी भी दी गई। जिसके बाद दर्ज की गई एफआईआर पर आरोप दोष सिद्ध नहीं होने का प्रतिवेदन दिया गया, जिसके आधार पर तत्कालीन एसपी आरिफ शेख ने केस को खारिजी के लिए भेज दिया।
8 साल बाद CSP ने की जांच और बताया दोषी
इधर, सरकंडा CSP सिद्धार्थ बघेल ने बताया कि इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं होने पर शिकायतकर्ता रजनीश साहू ने एसीबी कोर्ट में परिवाद पेश कर दिया, जिसमें भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया। दावा किया जा रहा है कि इस मामले की दोबारा जांच कराई गई, जिसमें सरकंडा के जोरापारा में सोनिया बाई व अन्य तीन लोगों के नाम पर 56 डिसमिल जमीन दर्ज थी। सिद्धांशु मिश्रा ने इनसे मुख्तियारनामा प्राप्त किया, जबकि यह जमीन पहले ही बेची जा चुकी थी। इस प्लॉट में रोड व नाली की भूमि भी थी, जिसे बेचना संभव नहीं था। सिद्धांशु ने तत्कालीन पटवारी चंदराम बंजारे व कमल किशोर कौशिक की मदद से खरीददारों चंद्रकुमारी फणनवीस, विलास शर्मा, अरूणा शर्मा, निलिनी शुक्ता व अर्चना जायसवाल को गेंदराम गुप्ता की भूमि ””खसरा नंबर 409”” दिखाकर 22 फर्जी बिंदु तैयार कराए और रजिस्ट्री करा दी। बाद में इन खरीददारों को गेंदराम की भूमि का कब्जा दिला दिया। दोबारा जांच में अपराध पाए जाने पर सिद्धांशु को गिरफ्तार किया गया है। इस मामले में पटवारी चंदराम बंजारे व कमल किशोर कौशिक की तलाश की जा रही है।
8 साल बाद गिरफ्तारी पर कोर्ट ने उठाए सवाल
सोमवार को सिद्धांशु को पुलिस ने बयान दर्ज करने के बहाने बुलाया, जिसके बाद आनन-फानन में उसे गिरफ्तार कर एडीजे फ़र्स्ट व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश सुनील जायसवाल की अदालत में पेश किया गया। इस दौरान बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश ने थाना प्रभारी और सरकंडा सीएसपी को कड़ी फटकार लगाते हुए पूछा कि आठ साल बाद ऐसा कौन-सा नया तथ्य सामने आया, जिससे गिरफ्तारी जरूरी हो गई? अदालत ने मंगलवार को जमानत याचिका पर सुनवाई तय की और आरोपी को रिमांड पर जेल भेजने का आदेश दिया।
बिना तथ्य के फाइल रिओपन करने पर सवाल
मंगलवार को जब जमानत पर सुनवाई हुई, तब भी कोर्ट ने नाराजगी जताई। इस दौरान पुलिस यह नहीं बता पाई कि आठ साल में क्या नया तथ्य मिला है। यहां तक कोई दस्तावेज भी प्रस्तुत नहीं कर पाई। बचाव पक्ष के वकील ने बताया कि इस मामले में हाईकोर्ट ने कहा है कि केस में सिद्धांशु मिश्रा पर कोई अपराध नहीं बनता। दूसरी तरफ पुलिस ने कहा कि सिद्धांशु मिश्रा ने फर्जी दस्तावेज तैयार कराया है। इस पर कोर्ट ने सवाल करते हुए कहा कि न तो वो क्रेता है और न ही विक्रेता। पावर ऑफ अटार्नी होल्डर कैसे फर्जी दस्तावेज तैयार करा सकता है।