छत्तीसगढ़ मे लोगों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए प्रदेश के रजिस्ट्री कानून में अब होंगे बड़े बदलाव ……… रजिस्ट्री विवाद सिविल कोर्ट नहीं, आईजी निपटाएंगे
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रायपुर……
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद रजिस्ट्री के पुराने कानून में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। नया कानून आम लोगों को सिविल विवादों से बचाने के लिए तैयार हो रहा है। इसके तहत अगर कोई फर्जी या गलत रजिस्ट्री हो जाती है, तो सुनवाई और उसे रद्द कराने के लिए लोगों को सिविल कोर्ट नहीं जाना होगा। ऐसे मामलों की रजिस्ट्री आईजी पंजीयन ही रद्द कर सकेंगे।
इससे सिविल मामलों की पेंडेंसी भी कोर्ट में कम होगी और लोगों को भटकना भी नहीं पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि रजिस्ट्री से जुड़े सिविल मामलों के निराकरण में कोर्ट में सालों लग जाते हैं, लेकिन अब आईजी ऐसे मामलों का कुछ ही महीनों में निराकरण कर देंगे।
प्रदेश की विभिन्न अदालतों में 4.5 लाख से अधिक मामले सिविल के हैं। माना जाता है कि इनमें से करीब आधे विवादित रजिस्ट्री या जमीन विवादों के हैं। रजिस्ट्री के पुराने सिस्टम में बदलाव की इसलिए भी जरूरत महसूस की जा रही थी, क्योंकि बहुत सारे काम डिजिटल होने लगे हैं।
विवादित मामलों में आईजी को अधिकार देने से लोगों को राहत मिलेगी। आईजी सरकारी जमीन की गलत या निजी व्यक्ति की गलत रजिस्ट्री या फर्जीवाड़े के मामलों में रजिस्ट्री को शून्य कर सकते हैं। जिन मामलों में अधिकृत व्यक्ति की अनुमति के बिना रजिस्ट्री हुई, उसे भी रद्द किया जा सकेगा। आईजी के फैसले से अगर दोनों में से कोई पक्ष सहमत नहीं होगा तो उसे 30 दिनों में सचिव के सामने अपील करने का अधिकार होगा।
किसानों से जमीन लेकर आवासीय या व्यावसायिक निर्माण करने वालों के पास अब ऐसा रास्ता नहीं बचेगा कि वे संबंधित किसान के साथ धोखा कर सकें। इसके तहत डेवलपमेंट एग्रीमेंट का पंजीयन कर संबंधित किसान के साथ होने वाले अनुबंध को वैधानिकता प्रदान की जाएगी। ताकि किसानों के साथ किए गए कमिटमेंट को पूरा किया जा सके।
दस्तावेजों और व्यक्ति की पहचान बायोमैट्रिक तरीके से करने के लिए पर्याप्त इंतजाम प्रस्तावित कानून में किए जा रहे हैं। इसी प्रकार दत्तक पुत्र के स्थान पर दत्तक संतान का उल्लेख अब दस्तावेजों में होगा, ताकि पुत्री होने पर भी उसको अधिकार मिल सके।
अलग-अलग सौदों में होने वाले अनुबंध का पंजीयन अनिवार्य किया जा रहा है, ताकि उनका रिकॉर्ड रहे। इस तरह के अनुबंधों और उससे होने वाले बदलावों की जानकारी उप पंजीयक कार्यालय के पास रहेगी, ताकि भविष्य में किसी प्रकार का लेन-देन होने पर उनकी वैधानिकता की जांच की जा सके।
इसमें उप पंजीयक को यह भी अधिकार होगा कि शपथ पत्र इत्यादि दस्तावेजों में लिए जाने वाले स्टाम्प ड्यूटी की जांच वे कर सकें। अभी कई मामलों में मनमर्जी की तरह अलग-अलग राशि लेने की बात सामने आती रही है।
फर्जीवाड़े के खिलाफ कोर्ट जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, आईजी ही पंजीयन रद्द कर देंगे
ऑनलाइन जमीन की खरीद-बिक्री का ब्योरा
प्रस्तावित कानून में धोखाधड़ी रोकने के लिए कई प्रावधान किए जा रहे हैं। मैनुअल होने वाले बहुत से कामों को प्रस्तावित कानून में डिजिटल किया जा रहा है। मसलन, कोई व्यक्ति रजिस्ट्री से पहले संबंधित जमीन की हिस्ट्री चेक करना चाहे तो वह खसरा नंबर डालकर उस जमीन की पूरी हिस्ट्री निकाल सकता है। इस डाउनलोड कॉपी को अलग से प्रमाणित करने की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि वह पहले से हस्ताक्षरित कॉपी होगी। इससे भूमि खरीदने से पहले आम आदमी उस संपत्ति की पूरी जांच कर पाएगा।
रजिस्ट्री में ही अक्षांस-देशांत भी देना होगा
प्रावधान किया जा रहा है कि जिस जमीन की रजिस्ट्री की जाएगी, उसका फोटो, मानचित्र, अक्षांस और देशांतर भी देना होगा। इससे एक जमीन दिखाकर दूसरी जमीन की रजिस्ट्री करने की प्रक्रिया रोकी जा सकेगी। इसी प्रकार सेल एग्रीमेंट कराकर सौदा करने वालों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए अब सेल एग्रीमेंट का पंजीयन अनिवार्य कर दिया जाएगा। पावर ऑफ अटॉर्नी के तहत होने वाली रजिस्ट्री में भी धोखाधड़ी रोकने के इंतजाम किए जा रहे हैं। इसमें पावर ऑफ अटॉर्नी का भी पंजीयन अनिवार्य होगा।
100 दस्तावेजों का पंजीयन ऑनलाइन संभव
रजिस्ट्री कार्यालय में 100 से अधिक दस्तावेजों का पंजीयन किया जाता है। ऐसी व्यवस्था बनाई जा रही है कि मॉर्टगेज, रेंटल एग्रीमेंट,जैसे छोटे-छोटे कामों का पंजीयन इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म भरकर घर बैठे ही डिजिटल तरीके से कराया जा सकता है। रजिस्ट्री कार्यालय में दलालों की दखल खत्म करने के लिए यह भी अनिवार्य किया जा रहा है कि उप पंजीयक कार्यालय में रजिस्ट्री के दौरान केवल क्रेता और विक्रेता ही मौजूद रहेंगे।