मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में चल रहा संस्थागत प्रसव अभियान, मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में आई उल्लेखनीय कमी
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मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में संस्थागत प्रसव को लेकर चलाया जा रहा अभियान महिलाओं और शिशुओं के स्वास्थ्य में सुधार लाने में सफल रहा है. राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं और जमीनी स्तर पर किए जा रहे प्रयासों के कारण मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी आई है. यदि यह प्रयास इसी तरह जारी रहे, तो छत्तीसगढ़ जल्द ही देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो सकता है, जहां हर महिला को सुरक्षित मातृत्व का अधिकार मिलेगा.
इस अभियान की सफलता में आशा कार्यकर्ताओं, एएनएम और एम्बुलेंस सेवाओं की अहम भूमिका रही है. आशा कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव के लाभों के बारे में जागरूक कर रही हैं और उन्हें समय पर स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचाने में मदद कर रही हैं.
सरकार की पहल से मिल रहे सकारात्मक परिणाम:
मातृ मृत्यु दर (MMR): 2019 में 159 प्रति लाख जीवित जन्म थी, जो 2024 में घटकर 110 रह गई.
शिशु मृत्यु दर (IMR): 2020 में 41 प्रति 1,000 जीवित जन्म थी, जो 2025 में घटकर 25 हो गई.
संस्थागत प्रसव दर: 2020 में 70% थी, जो अब 88% से अधिक हो गई है.
मोबाइल मेडिकल यूनिट और 102/108 एम्बुलेंस सेवा
दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाली गर्भवती महिलाओं को समय पर चिकित्सा सहायता देने के लिए सरकार ने मोबाइल मेडिकल यूनिट और 102/108 एम्बुलेंस सेवाओं को मजबूत किया है. इससे जरूरतमंद महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने और संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने में मदद मिली है.स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार और उन्नयन
राज्य सरकार ने ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) की संख्या में वृद्धि की है. साथ ही, अस्पतालों में प्रसव केंद्रों की गुणवत्ता सुधारने के लिए अत्याधुनिक उपकरण और प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की तैनाती की गई है.
छत्तीसगढ़ सरकार ने संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं और नीतियां लागू की हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
जननी सुरक्षा योजना (JSY) और जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (JSSK),
मुख्यमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (CMSM
A) एवं मातृ वंदना योजना और मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान