छत्तीसगढ़ को मिल रही वैश्विक पहचान बस्तर स्थित कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की प्रारंभिक सूची में शामिल किया गया है। यह छत्तीसगढ़ के लिए गौरव का क्षण है
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यूनेस्को की अस्थायी सूची में शामिल हुआ बस्तर का कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान, जानें क्या है खासियत
धिकारियों ने बताया कि कांगेर घाटी सिर्फ जंगल नहीं है, यह एक जादुई दुनिया है। यहां 15 से ज्यादा रहस्यमयी गुफाएं हैं, जैसे कोटमसर, कैलाश और दंडक गुफाएं, जो किसी रहस्यलोक से कम नहीं लगतीं।
छत्तीसगढ़ के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान को यूनेस्को की अस्थायी सूची में शामिल किया गया है। इसके बाद यह संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक,वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) की विश्व धरोहर सूची के लिए भारत का नवीनतम नामांकन बन गया है। बस्तर जिले में 200 वर्ग किलोमीटर में फैला,पहाड़ियों से घिरा और साल के पेड़ों से ढका हुआ यह शुद्ध कांगेर घाटी वन अपनी प्राकृतिक सुंदरता,जैव विविधता,झरनों और गुफाओं के लिए प्रसिद्ध है।
अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ का कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान अपनी अनूठी जैव विविधता के साथ भारत का नया यूनेस्को धरोहर दावेदार बन गया है। इस उद्यान को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में शामिल किया गया है। छत्तीसगढ़ के पर्यटन के लिए यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। उन्होंने बताया कि कांगेर घाटी की खूबसूरती और ऐतिहासिक महत्त्व ने इसे इस मुकाम तक पहुंचाया है।
स्थायी विश्व धरोहर का दर्जा भी मिल सकता है
उनके मुताबिक, दिसंबर 2023 में छत्तीसगढ़ सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इस स्थल को वैश्विक पहचान दिलाने की योजना बनाई थी। विशेषज्ञों ने इसकी जैव विविधता, पुरातात्विक धरोहर और अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र का गहराई से अध्ययन किया और फिर इसका नाम यूनेस्को की अस्थायी सूची में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा गया। अधिकारियों ने बताया कि यह पहली बार है जब छत्तीसगढ़ का कोई स्थल इस प्रतिष्ठित सूची में शामिल हुआ है। अब पूरी उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में इसे स्थायी विश्व धरोहर का दर्जा भी मिल सकता है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस सफलता को लेकर कहा है कि यह कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता का परिणाम है। साय ने कहा है, ”कांगेर घाटी का यूनेस्को की अस्थायी सूची में शामिल होना राज्य के लिए गौरव का विषय है, जिससे पर्यटन एवं रोजगार में नई संभावनाएं खुलेंगी। हम भविष्य में भी अपनी धरोहरों के संरक्षण के लिए मिलकर प्रयास करते रहेंगे।”