The unbridled cutting of eucalyptus trees was caught by the joint team in surguja | बिना अनुमति नीलगिरी के पेड़ों की कटाई: सरगुजा में पकड़ाई 20 ट्रक लकड़ी, सेटिंग से दूसरे राज्यों में भेजे जाने की तैयारी थी – Ambikapur (Surguja) News
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सरगुजा जिले में नीलगिरी की लकड़ी की तस्करी का मामला सामने आया है। मेंड्राकला में तस्करों ने बिना अनुमति के कई एकड़ में लगे नीलगिरी के पेड़ों को काटा और तस्करी कर उत्तरप्रदेश ले जाने की तैयारी कर रहे थे।
सूचना मिलते ही कलेक्टर के निर्देश पर राजस्व एवं वन अमले ने छापा मारा और करीब 20 ट्रक लकड़ी जब्त की है। वन विभाग के मुताबिक, मामला राजस्व विभाग को सौंपा दिया गया है। जब्त लकड़ी की कीमत लाखों रुपए में है।
दरअसल, नीलगिरी पेड़ों को काटने से पहले प्रशासन की अनुमित लेनी होती है लेकिन पिछले कुछ दिनों से तस्कर सरगुजा रेंज में सक्रिय है जो बिना अनुमति के लकड़ी काट रहे है और सेटिंग से दूसरे राज्यों में भेज रहे है।
20 ट्रक नीलगिरी की लकड़ी की तस्करी
जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार को मेंड्राकला में बड़े पैमाने पर लकड़ी काटकर रखने और यूपी भेजे जाने की सूचना मिली। सरगुजा कलेक्टर विलास भोस्कर और राजस्व एवं वन विभाग की टीम घटना स्थल पर पहुंची।
जहां करीब 20 ट्रक नीलगिरी की लकड़ी काटकर डंप की गई थी। लकड़ी को उत्तरप्रदेश भेजा जा रहा था। बड़ी मात्रा में लकड़ी बाहर भेजी जा चुकी है। वन एवं राजस्व अमले ने काटकर रखी गई लकड़ी को जब्त किया है। देर शाम तक जब्ती की की कार्रवाई चलती रही।
राजस्व विभाग करेगा कार्रवाई
अंबिकापुर रेंजर निखिल पैकरा ने बताया कि नीलगिरी के पेड़ों को काटने की अनुमति नहीं ली गई थी। लकड़ी के परिवहन की नियमानुसार अनुमति (टीपी) जारी नहीं की गई थी। यह मामला राजस्व विभाग का है। इसलिए प्रकरण तैयार कर राजस्व अमले को सौंपा जा रहा है। राजस्व अमला मामले में आगे की कार्रवाई करेगा।
बिना अनुमति नीलगिरी के पेड़ों की कटाई:सरगुजा में पकड़ाई 20 ट्रक लकड़ी, सेटिंग से दूसरे राज्यों में भेजे जाने की तैयारी थी
सरगुजा46 मिनट पहले
सरगुजा में जब्त हुई लाखों रुपये की लकड़ी – Dainik Bhaskar
सरगुजा में जब्त हुई लाखों रुपये की लकड़ी
सरगुजा जिले में नीलगिरी की लकड़ी की तस्करी का मामला सामने आया है। मेंड्राकला में तस्करों ने बिना अनुमति के कई एकड़ में लगे नीलगिरी के पेड़ों को काटा और तस्करी कर उत्तरप्रदेश ले जाने की तैयारी कर रहे थे।
सूचना मिलते ही कलेक्टर के निर्देश पर राजस्व एवं वन अमले ने छापा मारा और करीब 20 ट्रक लकड़ी जब्त की है। वन विभाग के मुताबिक, मामला राजस्व विभाग को सौंपा दिया गया है। जब्त लकड़ी की कीमत लाखों रुपए में है।
दरअसल, नीलगिरी पेड़ों को काटने से पहले प्रशासन की अनुमित लेनी होती है लेकिन पिछले कुछ दिनों से तस्कर सरगुजा रेंज में सक्रिय है जो बिना अनुमति के लकड़ी काट रहे है और सेटिंग से दूसरे राज्यों में भेज रहे है।
राजस्व एवं वनविभाग ने की संयुक्त कार्रवाई
राजस्व एवं वनविभाग ने की संयुक्त कार्रवाई
20 ट्रक नीलगिरी की लकड़ी की तस्करी
जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार को मेंड्राकला में बड़े पैमाने पर लकड़ी काटकर रखने और यूपी भेजे जाने की सूचना मिली। सरगुजा कलेक्टर विलास भोस्कर और राजस्व एवं वन विभाग की टीम घटना स्थल पर पहुंची।
जहां करीब 20 ट्रक नीलगिरी की लकड़ी काटकर डंप की गई थी। लकड़ी को उत्तरप्रदेश भेजा जा रहा था। बड़ी मात्रा में लकड़ी बाहर भेजी जा चुकी है। वन एवं राजस्व अमले ने काटकर रखी गई लकड़ी को जब्त किया है। देर शाम तक जब्ती की की कार्रवाई चलती रही।
राजस्व विभाग करेगा कार्रवाई
अंबिकापुर रेंजर निखिल पैकरा ने बताया कि नीलगिरी के पेड़ों को काटने की अनुमति नहीं ली गई थी। लकड़ी के परिवहन की नियमानुसार अनुमति (टीपी) जारी नहीं की गई थी। यह मामला राजस्व विभाग का है। इसलिए प्रकरण तैयार कर राजस्व अमले को सौंपा जा रहा है। राजस्व अमला मामले में आगे की कार्रवाई करेगा।
दूसरे प्रदेशों में भेजी जा रही थी अवैध लकड़ी
दूसरे प्रदेशों में भेजी जा रही थी अवैध लकड़ी
SDM की अनुमति जरूरी, टीपी भी लेनी होगी
सरगुजा से बिना अनुमति नीलगिरी के पेड़ बड़ी संख्या में काटे जा रहे हैं। दरअसल नीलगिरी के पेड़ों को काटकर इन्हें उद्योग के लिए भेजा जाता है। इसका उपयोग फर्नीचर, पार्टिकल बोर्ड, हार्ड बोर्ड बनाने में किया जाता है। सरगुजा में सस्ते में नीलगिरी के पेड़ों को खरीदकर इसे मनमाना तरीके से काटा जा रहा है।
इसके पूर्व सरगुजा के बतौली क्षेत्र में भी नीलगिरी की लकड़ी ले जाते हुए दो ट्रकों को पकड़ा गया था। नीलगिरी की लकड़ी वन विभाग की सेटिंग से दूसरे प्रदेशों को भेजी जाती है। वन विभाग के नाकों में पैसे लेकर लकड़ी का परिवहन करने की अनुमति मिल जाती है।
सरगुजा जिला प्रशासन ने नोटिस जारी कर कहा है कि नीलगिरी के पेड़ों को एसडीएम की अनुमति के ही काटा जा सकता है। दूसरे प्रदेशों में नीलगिरी भेजने के लिए वनविभाग की अनुमति लेनी होगी।